आदित्य ने ज़ूलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद सरकारी नौकरी का एग्जाम और फिर इंटरव्यू दिया। रिजल्ट आने पर उसकी खुशी का ठिकाना न रहा क्योंकि उसे फॉरेस्ट ऑफिसर की पोस्ट के लिए सेलेक्ट कर लिया गया था। उसे उसकी मनचाही नौकरी मिली थी। ट्रेनिंग के बाद उसे जंगल में पोस्ट कर दिया गया जहाँ उसके रहने और खाने पीने का भी इंतज़ाम था।
एक रात जंगल में गश्त के दौरान आदित्य को एक बंदर ने काट लिया। घाव गहरा नहीं था पर इलाज तो ज़रूरी था। अतः उसे जंगल के पास के शहर में हॉस्पिटल ले जाया गया जहाँ थोड़े निरीक्षण के बाद उसे एडमिट कर लिया गया।
“आपको किस जानवर ने काटा था?” डॉक्टर ने पूछा।
“बंदर,” कहते हुए आदित्य ने बैज पर उसका नाम देखा : पूनम।
“ठीक है,” डॉक्टर पूनम ने कहा और वार्डबोय से मंकी बाईट का इंजेक्शन मंगवाया।
“आपको यहाँ एक दिन रुकना होगा,” इंजेक्शन लगाते हुए पूनम बोली। “अगर आप कल शाम तक ठीक हो गए तो आपको डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। ये न हुआ तो परसों दोपहर तक आपको रुकना होगा और चोट ठीक होने तक ड्रेसिंग के लिए रोज़ आना होगा।”
अपना काम खत्म कर पूनम दूसरे पेशेंट को देखने चली गई और आदित्य उसे देखता रहा। उसमें कुछ आकर्षण था जो आदित्य को अपनी ओर खींच रहा था।
अगले दिन आदित्य के चेकअप के लिए एक दूसरा डॉक्टर आया।
“मेरा ट्रीटमेंट तो डॉक्टर पूनम कर रही थीं,” आदित्य उसे देखकर बोला। “वे कहाँ हैं?”
“वे आज नहीं आईं,” डॉक्टर ने बताया। “उनकी तबियत ठीक नहीं इसलिए वे घर पर ही हैं। और फिलहाल आज शाम हम आपको डिस्चार्ज कर देंगे। बस चोट ठीक होने तक आपको रोज़ ड्रेसिंग करवानी होगी।”
आदित्य चला गया, यह सोचते हुए कि पूनम हॉस्पिटल में एडमिट क्यों नहीं हुई।
***
आदित्य ड्यूटी खत्म कर हर शाम हॉस्पिटल आता जहाँ पूनम उसकी चोट पर ड्रेसिंग करती। पूनम का व्यवहार काफ़ी केयरिंग था, जो कुछ ज़्यादा हो रहा था। आदित्य ने एडमिट होने के समय ध्यान दिया था कि पूनम अन्य किसी पेशेंट से इतना केयरिंग नहीं होती थी। और यही वो बात थी जो आदित्य को उसकी ओर आकर्षित कर रही थी।
एक महीने में आदित्य की चोट ठीक हो चुकी थी और पूनम का अनुमान था कि आज की ड्रेसिंग अंतिम होने वाली थी। पर आज आदित्य को पूनम की जगह दूसरा डॉक्टर मिला।
“डॉक्टर पूनम कहाँ हैं?” आदित्य ने पूछा।
“उनकी तबियत ठीक नहीं इसलिए वे घर पर ही हैं,” ड्रेसिंग करते हुए डॉक्टर ने कहा।
“ओह अच्छा…” आदित्य बोलते हुए बीच में रुक गया जब उसे एहसास हुआ कि एक महीना पूरा होने में दो दिन बचे थे।
“हाँ,” काम खत्म कर डॉक्टर बोला। “उन्हें न जाने कैसी बीमारी है जो वो हर महीने छुट्टी लेती हैं और यहाँ एडमिट भी नहीं होती। खैर, आप अब ठीक हैं। अब आपकी चोट ठीक है, दोबारा ड्रेसिंग की ज़रूरत नहीं।”
आदित्य ने हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन से पूनम का फ़ोन नंबर और अड्रेस मांगे। जगह छोटी थी, वह सरकारी ऑफिसर था और एक महीना रोज़ आते रहने से सब उससे वाकिफ हो गए थे, अतः इसमें आदित्य को कोई परेशानी नहीं हुई। उसे बताया गया था कि वह अकेले रहती है, जो थोड़ा विचित्र था।
***
आदित्य पूनम के घर पहुंचा। दरवाज़ा खोल पूनम बाहर आई तो आदित्य आँखें फाड़े उसे देखता रह गया। वह बहुत अस्त व्यस्त हालत में थी और लग रहा था जैसे किसी ने उसकी अच्छी खासी नींद ख़राब कर दी हो।
“आदित्य तुम यहाँ?” उसे देख पूनम भी उतनी ही हैरान थी।
“मैं ड्रेसिंग के लिए आया था तो पता चला कि तुम बीमार हो,” आदित्य बोला।
“हाँ अभी मेरी तबियत ठीक नहीं,” पूनम ने बताया। “तुम कल आ सकते हो?” उसने लंबी उबासी ली।
“ठीक है,” आदित्य ने कहा। “कल शाम फलाने रेस्टोरेंट में मिलना।”
पूनम की आँखें नींद से बंद हो रही थीं। आदित्य मौके की नज़ाकत समझकर लौट गया।
***
अगली शाम पूनम रेस्टोरेंट पहुंची तो उसे आदित्य वहीं इंतज़ार करता मिला।
“कल तुम मेरे घर क्यों आए?” उसने पूछा।
“तुम बीमार थीं तो मैं मिलने आ गया,” आदित्य बोला। “डॉक्टर बता रहे थे कि तुम हर महीने बीमारी के कारण छुट्टी लेती हो। ऐसी क्या बीमारी है जो तुम हॉस्पिटल में एडमिट नहीं होती?”
“वो लंबी कहानी है,” पूनम ने जवाब दिया। “और वैसे भी उस हॉस्पिटल में इसके लिए डिपार्टमेंट नहीं है।”
“तो कोई दूसरे हॉस्पिटल में कोशिश करो, या अपने ही हॉस्पिटल के जनरल वॉर्ड में एडमिट हो जाओ। वो इलाज नहीं तो कम से कम देखभाल तो कर लेंगे।”
पूनम ने सिर हिलाया।
“वैसे जब पिछले महीने मैं एडमिट हुआ था तबसे देख रहा हूँ कि तुम मेरे साथ काफ़ी केयरिंग हो,” आदित्य आगे बोला। “तुम दूसरे पेशेंट्स के साथ ऐसी केयरिंग नहीं थी।”
“तुमने इतना ऑब्जर्व कर लिया?” पूनम हैरान थी।
“पूनम, मैं एक केयरिंग पत्नी चाहता था,” आदित्य अब असली मुद्दे पर आया। “वो गुण तुम में है। बोलो, तुम मुझसे शादी करना चाहोगी?”
“क्या… तुम मुझे प्रोपोज़ कर रहे हो?”
“हाँ।”
“नहीं आदित्य। मुझसे शादी मत करो। ऐसा कर तुम खुद का नुकसान कर रहे हो।”
“और क्या ये तुम्हारी बीमारी से जुड़ी कोई वजह है?”
“नहीं… तुम्हारा नुकसान ये है कि मैं माँ नहीं बन सकती,” पूनम उठते हुए बोली। “इसका इलाज भी नहीं है। तुमने प्रोपोज़ किया, ये भी मेरे लिए बड़ी बात है।”
वह चली गई और आदित्य वहीं बैठा रहा। कुछ ही देर में उसने एक बड़ा निर्णय लिया।
वह पूनम से शादी कर बच्चा गोद लेगा।
6 महीने बाद…
आदित्य ने बहुत मशक्कत से पूनम को शादी के लिए राज़ी किया था। पूनम में वो गुण थे जो वह अपनी पत्नी में चाहता था।
पूनम की बीमारी अब भी परेशानी बनी हुई थी। वह दवाई खुद बनाती थी जिसके साइड इफ़ेक्ट से उसे लंबी नींद आती थी। यह हर महीने की बात थी।
“पूनम, ये क्या बीमारी है जिसकी दवाई बाहर नहीं मिल सकती?” सोने की तैयारी करते हुए आदित्य ने जानना चाहा।
“बीमारी? ओह नहीं…” पूनम हड़बड़ा गई। वह इस बार दवाई बनाना भूल गई थी। वह तुरंत दूसरे कमरे में भागी और आदित्य उसे रोकने की कोशिश करता रह गया।
“बस अभी आ…अऊऊऊऊ…” पूनम की आवाज़ एक भेड़िये की चीख में बदल गई।
आदित्य जम गया। जहाँ वह रहता था वह जंगली क्षेत्र था। जंगली जानवरों की आवाज़ वहाँ आती रहती थी अतः किसी अन्य फॉरेस्ट ऑफिसर को अंदाजा भी न होता कि यह भेड़िया कहाँ से चीखा है।
आदित्य ने फोन हाथ में लिया ही था कि तभी एक आदमकद भेड़िया दो पैरों पर चलते हुए उसके सामने आ गया। पूनम के कपड़ों के चिथड़े उसके बदन पर फैले हुए थे। आदित्य की आवाज़ हलक में अटक गई थी और वह भेड़िया कुछ इशारे किये जा रहा था। आदित्य ने देखा, भेड़िये की ऊँगली कभी खुद पर होती तो कभी दीवार पर टंगी उसकी शादी की फोटो पर और कभी खिड़की के बाहर।
“तुम… पूनम… कहाँ…” आदित्य ने जैसे तैसे इतना ही कहा। जवाब में भेड़िये ने खुद पर इशारा कर दिया।
“तुम… पूनम…” आदित्य पूरा नहीं बोल पाया। भेड़िये ने हाँ में सिर हिला दिया।
वह पूनम थी। वह वेयरवुल्फ थी।
आदित्य ने खिड़की पर पर्दा लगा दिया ताकि बाहर से कोई न देखे। उसने ध्यान दिया कि वह पूरे चाँद की रात थी। वह पूर्णिमा की रात थी।
***
भोर होने तक पूनम वापस इंसान बन चुकी थी।
वे नाश्ते के समय कुछ नहीं बोले। बीती रात जो हुआ उससे दोनों सदमे में थे।
शाम को आदित्य ने बात करने की कोशिश की।
“क्या तुम… वेयरवुल्फ हो?”
“हाँ,” पूनम ने कहा। “और मैं सिर्फ वेयरवुल्फ नहीं हूँ। मैं वेयरवुल्फ प्रजाति की आखिरी जीव हूँ।”
आदित्य के लिए यह बड़ा खुलासा था।
“पूर्णिमा की रात मैं भेड़िया बन जाती हूँ। हाँलाकि इससे बचने का एक तरीका है।”
“क्या?” आदित्य ने जानना चाहा।
“मेरे माता पिता ने मरने से पहले मुझे एक दवा बनानी सिखाई थी,” पूनम ने बताया। “इससे मैं पूर्णिमा की रात भेड़िया नहीं बनती, पर ये लंबी नींद भी देता है। वही नींद मेरी बीमारी है।”
“तुमने कहा था तुम माँ नहीं बन सकती…”
“तुम इंसान हो आदित्य,” पूनम के चेहरे पर एक फीकी मुस्कान आ गई।
“कोशिश करने में क्या हर्ज है?” आदित्य बोला। “अगर तुम प्रेग्नेंट होती हो तो बच्चा इंसान भी तो हो सकता है।”
पांच साल बाद…
थोड़ी कोशिश के बाद पूनम प्रेग्नेंट हो गई थी। नौ महीने की प्रेगनेंसी के बाद उसने एक बेटे को जन्म दिया था।
“जय का डीएनए विचित्र है,” पूनम ने बच्चे के डीएनए की जांच की थी। “ये जितना भेड़िया है उतना ही इंसान भी है। ये हम दोनों से अलग है।”
जय एक हाइब्रिड प्रजाति था, ऐसा जीव जो अपनी इच्छा से कभी इंसान तो कभी भेड़िया बन सकता था। पूर्णिमा की रात वह भेड़िया बनने को बाध्य नहीं था। यह उसे कम उम्र में समझा दिया गया था कि मम्मी अलग जीव हैं और पापा अलग।
आज पूनम और आदित्य ने जय का चौथा जन्मदिन मनाया था।
समाप्त
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