नवम्बर 2012
सुरभि ने मेरी रिलेशनशिप स्वीकार कर ली थी। हाँलाकि इस पर सोचने में उसने बहुत समय लगा दिया था।
“मैं क्यों मान लूँ कि तुम मज़ाक नहीं कर रहे हो?” उसने पूछा था। तब मैंने उसे नेहा से ब्रो-ज़ोन, जिसे वह राखी-ज़ोन कहती थी, होने की घटना बताई थी।
“यकीन नहीं होता कि इतना गोरा लड़का राखी-ज़ोन हो सकता है,” उसने कहा था और फिर वह झेप गई थी क्योंकि उसने मेरी त्वचा की रंगत पर कमेंट कर दिया था। “ठीक है, मुझे मंज़ूर है, लेकिन तुम वादा करो कि फिजिकल रिलेशन की ज़िद नहीं करोगे।”
“मुझे फिजिकल रिलेशन से ज़्यादा इमोशनल रिलेशन पसंद है। तुम फ़िक्र मत करो, मैं फिजिकल होने की ज़िद नहीं करूँगा।”
इस घटना को दो महीने बीत चुके थे। इन दो महीनों में मैंने पढ़ने पर काफी ध्यान लगाना शुरू कर दिया था। मैं मेरे पुराने पढ़ाकू स्वभाव में लौटने लगा था। कभी-कभार मैं राजीव को कोई विषय समझा देता था जिससे मेरा रिवीज़न हो जाता था।
“अगर हम अभी से पढ़ाई और करियर पर ध्यान दें, तो ही इतने मार्क्स मिलेंगे कि अच्छी यूनिवर्सिटी और फिर अच्छी जॉब मिले,” मैंने सुरभि से कहा था। मम्मी-पापा अक्सर पूछ रहे थे कि मेरा पुराना पढ़ाकू स्वभाव वापस कैसे आया, लेकिन सच अभी तक सिर्फ अमृता ही जानती थी।
***
जनवरी 2013
दिसंबर में हाफ-इयरली एग्जाम हुए थे। अभी हाल ही में रिजल्ट आया था। मुझे चौथी रैंक मिली थी जबकि सुरभि सेकंड रैंक पर थी। मम्मी-पापा खुश थे कि आखिर मैं अपने पुराने पढ़ाकू रूप में लौट आया था।
“तुमने इतनी मेहनत ‘सुरभि भाभी’ के लिए की है न?” अमृता ने मुझे छेड़ा। “देखो वो तुमसे आगे निकल गई।”
“अभी तक मम्मी-पापा ये रिश्ता नहीं जानते और तुम उसे भाभी कह रही हो?”
“आज नहीं तो कल उसे मेरी भाभी बनना ही है। फिर क्यों तुम चिढ़ रहे हो?”
“पहले ये बताओ कि हम हमारी रिलेशनशिप के बारे में उसके और हमारे मम्मी-पापा को कैसे बताएं। जब वे जान जाएंगे तब तुम उसे भाभी कह लेना।”
“किसकी भाभी की बात कर रहे हो?” मम्मी की आवाज़ सुनकर हम चौंक पड़े। “कुछ नहीं। किसी भाभी की बात नहीं हो रही,” अमृता ने जैसे-तैसे कहा।
रात को खाना खाते हुए मम्मी ने कहा, “आज अमृता किसी ‘सुरभि भाभी’ की बात कर रही थी। कौन है ये सुरभि?”
“नाम कुछ सुना हुआ सा लग रहा है। सुरभि वही लड़की है न जिसकी हाफ-इयरली एग्जाम में सेकंड रैंक आई है?” पापा ने पूछा।
“हाँ वही सुरभि है,” मैंने झिझकते हुए कहा।
“अमृता, तुमने उसे भाभी क्यों कहा? कौस्तुभ ने उसे गर्लफ्रेंड बना लिया क्या?” मम्मी ने हँसते हुए कहा।
क्या अभी बता देना सही रहेगा? लोहा तो गर्म ही हो रहा है तो अभी हथोड़ा मारना सही होगा।
“सुरभि और मैं सितम्बर से रिलेशनशिप में हैं,” आखिर मैंने कह ही दिया।
“क्या कहा तुमने?” मम्मी-पापा चौंक पड़े।
“हाँ वो मेरी गर्लफ्रेंड है। तभी अमृता ने उसे भाभी कहा था,” मैंने कहा।
“तुम दोबारा इतने पढ़ाकू उसी लड़की की खातिर हुए हो? तुम्हारे दोस्तों से तो पढ़ाई की उम्मीद करना बेकार हैं,” अब वे गंभीर हो गए थे।
“वो बहुत पढ़ती है। जब मैंने उसे पहली बार देखा तब वह पढ़ ही रही थी...” मैंने उन्हें पूरी कहानी बताई।
“एक बार उसे यहां बुलाओ। पहले हम देखेंगे कि वह कैसी है। अगर हमें पसंद आई, तो तुम्हारे रिलेशनशिप को आगे बढ़ाने को तुम सोच सकते हो। और ध्यान रखना वह अमृता की सहेली के तौर पर आए, न कि तुम्हारी गर्लफ्रेंड। समझ रहे हो न?” मम्मी-पापा मुझे निर्देश देते हुए बोले।
***
“मेरे मम्मी-पापा तुमसे मिलना चाहते हैं,” मैंने सुरभि को बताया।
हम प्लेग्राउंड में थे। रिसेस चल रहा था और हम लंच लेकर बाहर आ गए थे। मैंने सुरभि को बताया कि किस तरह मेरे मम्मी-पापा उसके बारे में जान गए थे।
“अगर उन्होंने हमारा रिलेशनशिप ठुकरा दिया तो तुम क्या करोगे?” सुरभि ने पूछा।
“कुछ तो अच्छी बात कहो। इतना स्ट्रेस मत लो कि तुम ब्रेकअप की बात करने लगो,” मैंने उसे झिड़का।
“अच्छी बात? तुम ब्रेकअप तक पहुंच गए,” वह पलटकर बोली।
“सॉरी, मेरा वो मतलब नहीं था,” मैं झेप गया।
“तो अब मुद्दे की बात : कब और कैसे आना है तुम्हारे घर?” सुरभि ने पॉइंट उठाया।
“देखो तुम्हें सिर्फ स्कूल आना है इस संडे को। वहाँ से मेरी बहन अमृता तुम्हें पिक कर लेगी,” मैंने उसे बताया। “मेरे पेरेंट्स ने तुम्हें फिलहाल अमृता की सहेली के तौर पर बुलाया है ताकि मोहल्ले में किसी को अंदाज़ा न हो।”
“क्यों, तुमने किसी को भी हमारे बारे में नहीं बताया? कोई तो दोस्त होगा जो जानता होगा?”
“प्रतीक जानता है।”
“ठीक है,” सुरभि ने कहा। “संडे को आती हूँ तुम्हारे घर।”
कहानी ज़ारी हैं...
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